बुधवार, 27 मई 2015

विरोध करते है सरकार की

सेवा में

श्रीमान थावर चंद गहलोत जी
केंद्रीय न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
भारत सरकार

महोदय
कल एक खबर पढ़ने को मिली सरकार 18 विभिन्न प्रकार की बीमारियो को विकलांगता की श्रेणी में शामिल करने जा रही हैं पढ़ कर कुछ अजीब सा लगा की ये क्या हो रहा हैं क्या विकलांग जनो की नीति बनाने वाले वास्तव में विकलांगो का भला चाह रहे या ये कोई बड़ी साजिश हैं  विकलांग अधिकार अधिनियम 2014 पर ससंद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट 7 मई को पटल पर रखा हैं जिसमे विकलांगता का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गयी हैं जोकि सरासर गलत असंवैधानिक हैं किसी बीमार व्यक्ति को विकलांग का दर्जा कैसे दे सकते हैं बीमारी विकलांगता से बिल्कुल भिन्न परिभाषा लिए हुए एक अस्थाई शब्द हैं जबकि विकलांगता एक व्यापक शब्द हैं साथियो ये एक बड़ी साजिश हैं विकलांग जनो के हक की लड़ाई को चोट पहुचाने के लिए हम समानता की बात करते हैं हम राजनैतिक हक की बात करते हैं हम शारीरिक चुनौती के बावजूद दुनिया में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं दैनिक दिनचर्या से उपजी बीमारी को विकलांगता का नाम देकर पुरे विकलांग वर्ग को अपमानित करने का काम उनके हक अधिकार को बाटने की साजिश हैं जिनको बीमारी हैं उन्हें अच्छा इलाज उपलब्ध हो बीमारी से निदान कैसे मिले इस पर चर्चा हो न की उन्हें विकलांगता की श्रेणी में शामिल कर दिया जाय आज 19 तरह की वीमारी का प्रस्ताव हैं कल खाँसी जुकाम बुखार को भी विकलांगता की श्रेणि में जोड़ा जायेगा फिर सुबह देर से उठने वाले देर रात तक जगने वाले चाय में 1 चम्मच कम चीनी लेने वाले कम नमक खाने वालो को भी विकलांग श्रेणी में शामिल होंगे और जिन्हें वास्तव में विकलांग की श्रेणी में होना चाहिए वो किनारे पड़े होंगे सरकारी नीतिया प्रस्ताव किस तरह बनाये जाते हैं ये एक बड़ा सवाल हैं "वो बीमार हैं विकलांग नही हम विकलांग हैं बीमार नही" महोदय इस प्रस्ताव को विधेयक में शामिल नही किया जाना चाहिये आप से निवेदन हैं कृपया इस प्रस्ताव को विधेयक में शामिल होने से रोके आप से बहुत उम्मीद हैं

रजनीश तिवारी
मध्यप्रदेश अध्यक्ष
राष्टीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच
9826938995

विरोध करे
09313181955
09425091516
mptcgeholat@gmail.com
tc.geholat@sansad.nic.in

रविवार, 24 मई 2015

पानीं नहीं मिलने से ट्रेन यात्री की मौत

यह भारत है make in india
सकुर पहाड़िया 38 साल झारखंड फरक्का एक्सप्रेस्स जनरल बोगी से सफर कर रहे थे प्यास लगी और तड़पने लगा बोगी में किसी के पास पानी नहीं मिला जौन पुर स्टेशन पर पानी लेने उतरा पर पानी नहीं मिला और ट्रेन चल दी वह दौड़ा  पर गिरकर बेहोश हो  गया पानी मुंह  पर छिड़का गया लेकिन ओ होश में नहीं आया

बुधवार, 20 मई 2015

सांसद/विद्यायक

सेवा में
श्रीमान
सांसद/विधायक महोदय
जनपद________________

मान्यवर
सादर अभिवादन
महोदय हम आपका ध्यान देश की आबादी का 10 % से भी ज्यादा पर उपेक्षित वर्ग विकलांग जनो की ओर दिलाना चाहते हैं महोदय आज देश में विकलांग जन समानता के अधिकार और अपने हक के लिये दिन रात संघर्ष कर रहे हमारे संगठन राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच द्वारा दिनाँक 1 मई से 20 मई तक माननीय प्रधानमंत्री जी को पोस्टकार्ड भेजकर अपनी प्रमुख 3 मांगो से अवगत कराया गया इस क्रम में करीब 1 लाख 25 हजार पोस्टकार्ड पुरे देश से भेजे गए महोदय अब आंदोलन के दूसरे चरण में आप माननीय प्रतिनिधि जन को  अपनी 3 प्रमुख मांग से अवगत कराते हुए अनुरोध करते हैं की हमारी निम्न मांग को देश/प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाने की कृपा करे
1 देश/प्रदेश में सशक्त विकलांग आयोग का गठन किया जाय
2 विकलांग अधिकार अधिनियम 2014 तत्काल पारित किया जाय
3 विकलांग जनो को प्रत्येक क्षेत्र में निर्धारित आरक्षण दिया जाय
महोदय हमें आशा ही नही पूर्ण विश्वास हैं की आप हमारी मांग को समर्थन देते हुए इसे संसद/विधानसभा में रखकर हमारी मांग को बल देंगे
सादर धन्यवाद

भवदीय
नाम रजनीश तिवारी
पता
मोबाईल न0

गुरुवार, 14 मई 2015

npdrd बैठक

राष्ट्रीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन 6, 7, 8 Nov. को गुजरात राज्य के गांधी नगर में किया जायेगा इस अधिवेशन में NPDRD के राष्ट्रीय कार्यकारणी सभी प्रदेश कार्यकारणी जिला और ब्लाक कार्यकारणी के सभी पदाधिकारी और सदस्य सादर आमंत्रित होंगे

बुधवार, 13 मई 2015

विकलांगो का ऑनलाइन पंजीयन

मध्यप्रदेश शासन ने निशक्तजन को आरक्षण 6 % सभी को समुचित मिले उसके लिए व्यापम द्वारा ऑनलाइन पंजीयन किया जा रहा  इसमें आप सभी लोग पूरा साथ दे जिससे कोई भी निशक्त जन ना छूटे और शासन द्वारा जो भी योजना या लाभ दिया जा रहा उससे कोई छूटे न आप का साथ चाइये सभी को जोड़े
निःशक्त जनो को रोजगार के लिए ऑनलाइन पंजीय
मध्यप्रदेश में निःशक्त जनो को मुख्यधारा  में लाने के विशेष् प्रयास या एक नयी पहल

मंगलवार, 12 मई 2015

आत्मावलोकन

इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता । जब भी न्याय में देरी होती है तो अन्याय की गुजांइश बड़ जाती है

हम ये नहीं कह रहे की फैसला गलत है या सही लेकिन जो पीड़ित पाक्ष है उसे न्याय नहीं मिला देश की स्थिरता के लिए आमजन को न्याय व्यवस्था में विस्वाश करना जरुरी है इनमे विस्वास उठने पर देश टूटने लगता ह

शनिवार, 9 मई 2015

माँ

माँ जीवन की पहली पाठशाला है ओ अपने स्नेह , आशीर्वाद और संस्कार से जीवन की नीव रखती है स्वतन्त्रा संग्राम दौर को देखे तो शहीदों की माँओ के दर्शन होंगे  जिनकी कोख से क्रांति ने जन्म लिया ।
देश भक्ति और बलिदान के जज्बे से ओतप्रोत मांओ की सिख से वीर सपूतो ने न केवल गुलामी के बेड़िया तोड़ने के लिए हंसते हंसाते अपने प्राणों की आहुति दे दी और आधुनिक भारत निर्माण ने ठोस नीव रखी
सभी माताओ को चरण स्पर्श एवं मातु दिवस की हार्दिक शुभकामनए
रजनीश तिवारी
राष्टीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच
मध्यप्रदेश अध्यक्ष
9826938995
rajnishtiwari104@gmail.com

शुक्रवार, 8 मई 2015

अँधा कानून

सामान्य भारतीय के लिए भारत का कोई भी सरकारी विभाग शाम को 5 बजे बंद हो जाता हैं। अदालत में तो आम आदमी की मर्जी की कोई जगह होती ही नही। लेकिन आज सलमान खान के लिए शाम 7.30 बजे तक अदालत चालू रही पुलिस बेठी रही। एक ही दिन में सब हो गया। मेरा विरोध सलमान खान से नही हैं। विरोध उस सरकारी व्यवस्था से हैं। जो एक गरीब और अमीर के बीच अंतर पैदा करती हैं।
सलमान खान को सजा होने पर मीडिया ने 13 मिनटों में बता दिया की...
1 सजा सुन सलमान रो पड़े
2 सलमान की माँ बेहोश हो गई
3 सलमान के बहन और भाई रुआंसे हो गए
4 सलमान की सजा पर फ़िल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों की क्या प्रतिक्रिया है
5 सलमान के जेल जाने से किस निर्देशक निर्माता को कितना नुकसान होगा.....आदि...आदि...

लेकिन पुरे 13 सालों में वो ये नहीं खोज पाया की...
1 मरने वाले लोग कौन थे,कहाँ से थे
2 उनकी माएँ जिन्दा बची या मर गई
3 उनके भाई बहनो के मन में मरने वालों की कोई याद बची है या वो भी मर गई
4 उनके बीवी बच्चे किन कठिनाइयों का सामना करते हुए दिन गुजार रहे है
5 आजादी के 67 सालों के बाद भी लोग फुटपाथ पर रात गुजारने को क्यों विवश है

क्या मीडिया इतनी सतही पत्रकारिता करने के बदले
समाज से विशेष सम्मान.सुविधाएं और संरक्षण चाहता है ?

धिक्कार् है आज की पत्रकारिता पर...

समय

जिंदगी में कभी न कभी लोग असफल होते है उस समय मुझे कुछ न कुछ प्रयोग करना चाइए अपने अस पस के नामी गिरामी लोगो के बारे में सोचो उनसे जान सकते की ओ कब असफल हुए और उसके बाद क्या किया
उनके उत्तर आप के जीवन का सबसे बड़ा सन्देश बन जाता है जैसे असफलता हाथ लगती है नुकसान और निराशा एक साथ काम करती है उसी समय सिख प्रेरणा और धैर्य का साथ पकड़ लेनी चाइए निरशा पर टीके तो अगली सफलता खो देगे
असफल होने पर हमारे ही भीतर एक तव्त् है जो बहुत खुश होता है वह है मन मन जनता है की असफल व्यक्ति चिंता में डूबेगा उस क्षण में आचरण में परिश्रम करे व्यवहार में शांति रखे अपने शरीर से हटकर मन पर कम करे  जितना मन शून्य करेगे उतने ही उलटे सीधे विचार कम आयगे आपके जीवन के प्रति दृस्टि स्पष्ट हो

गुरुवार, 7 मई 2015

चर्चित अभिनेता

सलमान खान को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया गया तो बड़ी खबर बनती है इसमे हैरानी की कोई बात नहीं
इसमें जो बात ज्यादा की चर्चा होनी चाइए थी बो गायब है बे कौन लोग थे जो उस रात फूटपाथ पर सोए थे उन पर क्या बीति 13 साल में इनका परिवार की जिंदगी कैसे काटी
पर उनका जीवन क्या बदल गया किसी ने यह जानने की कोशिस नहीं की
कुछ गंभीर मुद्दा सिरे से गायब है सार्वजनिक चर्चा के स्तर के बरे में गंभीर सवाल उठता है

बुधवार, 6 मई 2015

माँ

अक्सर देखा है
पुरुष कवि होते है
दार्शनिक होते है
फ़िल्मकार होते है
चित्रकार होते है
बहुत बेचैन है
कुछ रचने के लिए
क्योकि वह कभी
जीवन नहीं रच सकता
क्योकि वह कभी
माँ नहीं बन सकती

क्याभूले आँचल माँ का
धूप भी शबनम हित्ती थी
सिर शाहलती जो ममता से
ओ हथेलिया रेशम होती थी
भूखी रह रहती तुम
जब रोटिया कम होती थी
होते जब नजरो से ओझल
फिर सांसे बेदम होती थी
क्या ओ दिन थे
जब माँ थी
मस्त फिजा हरदम
होती थी

मंगलवार, 5 मई 2015

घटिया ट्रायसिकल

लंबे इंतजार के बाद मिले विकलांगो को ट्रीसिकल की खुसी थोड़ी देर भी नहीं रह सकीं जैसे ही साइकल चलने की कोसिस की तो साइकल के पार्ट्स टूटना चालू हो गए  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दशहरा मैदान  में आयोजित शिविर में निःशक्तों को ट्रेसिकले और सहायक उपकरण बंटे गये इसके साथ भोजन भी पर ओ भी घटिया क्वालिटी 

तिन तिन मंत्री के सामने शिविर के ये हालात है तो सोच साकते है की देश में विकलांगो की क्या हालात होगी

जिस प्रदेश में निःशक्तजन आयुक्त को  अपने मानदेय के लिए शासन को कई पत्र लिखे  पर सुनवाई नहीं हुई

मध्यप्रदेश शासन के राज्य शासन के  सचिव समकक्ष आयुक्त होने के बाद भी उनको पर्याप्त संसाधन स्टाफ मूक बधिर साइन भाषा जानने वाले नहीं

तो सोचो विकलांगो को क्या सुभिदा या लाभ दिया जा रहा होगा
जो भी है कागजी घोड़े है

खुद भी दे आदेश

भगवान उसका साथ देते है जो अपना हाथ पाउ चलता है
भगवान जिसे नष्ट करता है उसे क्रोधी बना देता है
एक पल बुरा था तो पूरा समय बुरा नहीं होगा
धन दौलत कुछ ही समय हमरे साथ रहते है पर हमरा व्यक्तित्व हमेशा साथ रहता है
किसी पेड़ का आंकलन फलों से करे पत्ते सा नहीं
घटनाय समय पर हो कर  रहती है उस पर दुःख या नाराज नहीं उस पे शिख ले और खुश् रहे