सेवा में
श्रीमान थावर चंद गहलोत जी
केंद्रीय न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
भारत सरकार
महोदय
कल एक खबर पढ़ने को मिली सरकार 18 विभिन्न प्रकार की बीमारियो को विकलांगता की श्रेणी में शामिल करने जा रही हैं पढ़ कर कुछ अजीब सा लगा की ये क्या हो रहा हैं क्या विकलांग जनो की नीति बनाने वाले वास्तव में विकलांगो का भला चाह रहे या ये कोई बड़ी साजिश हैं विकलांग अधिकार अधिनियम 2014 पर ससंद की स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट 7 मई को पटल पर रखा हैं जिसमे विकलांगता का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गयी हैं जोकि सरासर गलत असंवैधानिक हैं किसी बीमार व्यक्ति को विकलांग का दर्जा कैसे दे सकते हैं बीमारी विकलांगता से बिल्कुल भिन्न परिभाषा लिए हुए एक अस्थाई शब्द हैं जबकि विकलांगता एक व्यापक शब्द हैं साथियो ये एक बड़ी साजिश हैं विकलांग जनो के हक की लड़ाई को चोट पहुचाने के लिए हम समानता की बात करते हैं हम राजनैतिक हक की बात करते हैं हम शारीरिक चुनौती के बावजूद दुनिया में कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं दैनिक दिनचर्या से उपजी बीमारी को विकलांगता का नाम देकर पुरे विकलांग वर्ग को अपमानित करने का काम उनके हक अधिकार को बाटने की साजिश हैं जिनको बीमारी हैं उन्हें अच्छा इलाज उपलब्ध हो बीमारी से निदान कैसे मिले इस पर चर्चा हो न की उन्हें विकलांगता की श्रेणी में शामिल कर दिया जाय आज 19 तरह की वीमारी का प्रस्ताव हैं कल खाँसी जुकाम बुखार को भी विकलांगता की श्रेणि में जोड़ा जायेगा फिर सुबह देर से उठने वाले देर रात तक जगने वाले चाय में 1 चम्मच कम चीनी लेने वाले कम नमक खाने वालो को भी विकलांग श्रेणी में शामिल होंगे और जिन्हें वास्तव में विकलांग की श्रेणी में होना चाहिए वो किनारे पड़े होंगे सरकारी नीतिया प्रस्ताव किस तरह बनाये जाते हैं ये एक बड़ा सवाल हैं "वो बीमार हैं विकलांग नही हम विकलांग हैं बीमार नही" महोदय इस प्रस्ताव को विधेयक में शामिल नही किया जाना चाहिये आप से निवेदन हैं कृपया इस प्रस्ताव को विधेयक में शामिल होने से रोके आप से बहुत उम्मीद हैं
रजनीश तिवारी
मध्यप्रदेश अध्यक्ष
राष्टीय विकलांग अधिकार एवं कर्तव्य मंच
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