मोबाईल कोर्ट के जरिये अपनी समस्याओं का निराकरण कराने के लिये कोसों दूर से चलकर सतना पहुंचे विकलांगों ने सेमरिया चौराहे पर जाम लगा दिया। बीच सड़क पर बैठे विकलांगों का कहना था कि उन्हें बताया गया था कि शनिवार को टाउन हॉल में निःशक्तजनों की लंबित शिकायतों के निराकरण के लिये मोबाइल कोर्ट लगाई जाएगी। कोर्ट में निःशक्तजन कल्याण आयोग के आयुक्त बलदीप सैनी मौजूद रहेंगे। सामाजिक न्याय विभाग ने निःशक्तों को मोबाइल कोर्ट में आने की सूचना जारी कर दी और के कोने-कोने से तीन सौ के लगभग निःशक्त शनिवार की सुबह सतना पहुंच गये। लेकिन चार घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करने के बाद पता चला कि अधिकारी आज नहीं आ रहे है और मोबाईल कोर्ट स्थगित कर दी गई है। जिससे आक्रोशित विकलांगों ने सड़क पर जाम लगा दिया। जब विभाग ने सूचना देकर विकलांगों को शानिवार के दिन बुला लिया और अचानक मोबाईल कोर्ट स्थगित कर दी गई तो विभाग के अधिकारियों को टाउन हॉल पहुंचकर विकलांगों को इसकी जानकारी भी दी जानी चाहिए थी। लेकिन विभाग ने ऐसा करना जरूरी नहीं समझा। लिहाजा दोपहर तक अधिकारियों का इंतजार करने के बाद भी सामाजिक न्याय विभाग का कोई अधिकारी मोबाइल कोर्ट के लिये निर्धारित जगह में नहीं आया। तब निःशक्त विकलांगों ने विभाग के कार्यालय में संपर्क किया। जिसमें उन्हें बताया गया कि शनिवार को लगने वाली मोबाइल कोर्ट स्थगित कर दी गई है।भिूखे प्यासे धूप में इंतजार कर रहे निःशक्तजनों को जैसे ही कोर्ट स्थगित होने की जानकारी मिली वो भड़क गए। खुद को छला हुआ महसूस करते हुए सभी विकलांग नाराज होकर शहर के व्यस्ततम सेमरिया चौक में जाम लगा दिया। जिससे करीब आधा घंटे तक यातायात प्रभावित रहा। इस दौरान विकलांगों ने विभाग पर लापरवाही और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया। घटना की सूचना मिलने पर विकलांग उप संचालक सामाजिक न्याय विभाग के डॉ. अमर सिंह, कलाकार देवेन्द्र त्रिपाठी मौके पर गये और विकलांगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन विकलांगों ने उनकी बातों को मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि कलेक्टर के आने के बाद ही धरना समाप्त करेंगे।डंडा लेकर पहुंचे एसडीएमजिन्हें कुदरत ने पहले ही मार दिया है उन्हें डराने धमकाने के लिये एसडीएम रमेश सिंह डंडा लेकर सेमरिया चौक पहुंचे। उनके साथ तहसीलदार महेन्द्र पटेल तथा सीएसपी सीताराम यादव के अलावा पुलिसबल भी था। जिन्होंने बहुत ही असभ्य तरीके से विकलांगों को सड़क से हटने के लिये कहा। पहले तो धरने पर बैठे विकलांग अपनी जिद पर अड़े रहे। लेकिन जब उन्हें प्रशासन की ताकत का अंदाजा लगा तो उन्होंने धरना समाप्त कर दिया। इसके बाद एसडीएम के कहने पर सभी टाउन हॉल वापस पहुंचे। जहां पर एसडीएम ने उनकी समस्याओं को सुना और अगली तिथि में आकर मोबाईल कोर्ट में शामिल होने की समझाईश दी। भोजन और किराए की मांगसेमरिया चौराहा में चकाजाम कर रहे विकलांगों की का गुस्सा इसलिए उबाल मार रहा था कि किराया भाड़ा लगाकर बड़ी मशक्कत के बाद वो सतना पहुंचे। जहां मोबाईल कोर्ट लगाना तो दूर कोई एक गिलास पानी तक के लिये पूछने वाला नहीं था। सुबह से ही सभी विकलांग भूखे प्यासे टाउन हॉल में पड़े रहे और अब उन्हें वापस लौटाया जा रहा है। एसडीएम से विकलांगों ने कहा कि किसी तरह रूपए पैसे का जुगाड़ करके वो यहां तक आये थे। जिससे उनका रुपए भी पानी में बह गए।मोबाइल कोर्ट स्थगित होने की सूचना सभी जनपद सीईओ, सीएमओ को फोन पर, पत्र द्वारा, मेल से की गई थी। इन लोगों को अपने क्षेत्र के विकलांगों को सूचना देनी चाहिए, मगर नहीं दी गई जिससे विकलांग परेशान हो गये। जिसके जिम्मेदार सीईओ व सीएमओ हैं।डॉ. अमर सिंह, उप संचालक विकलांग सामाजि
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